जब छोटी थी मैं बाबा
  तेरे घर की आरजू आन थी
  खिलते गुलाब की सानी
  तेरी बगिया की शान थी
  मेरी हर खता तुझे परेशान करती थी
  मेरी बढ़ती उम्र तेरी फ़िक्र बढ़ाती थी
  शादी से पहले मुझे इतना प्यार दिया
  फिर क्यों शादी के बाद मुझे दुत्कार दिया
  ना कभी मुझे कड़वे बोल कहे
  ना कभी हाथ ही उठा दिया
  फिर क्यों देखकर भी मेरी दुर्गति
  अपना मुंह फेर लिया
  बहुत कहा था मैंने बाबा
  मत भेजो मुझे ससुराल
  अब मैं नहीं रही जीवित
  अब तो आकर मुझे संभाल!!!!!!!!!!!!1

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