शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

जवाब दो बाबुल

जब छोटी थी मैं बाबा
तेरे घर की आरजू आन थी
खिलते गुलाब की सानी
तेरी बगिया की शान थी
मेरी हर खता तुझे परेशान करती थी
मेरी बढ़ती उम्र तेरी फ़िक्र बढ़ाती थी
शादी से पहले मुझे इतना प्यार दिया
फिर क्यों शादी के बाद मुझे दुत्कार दिया
ना कभी मुझे कड़वे बोल कहे
ना कभी हाथ ही उठा दिया
फिर क्यों देखकर भी मेरी दुर्गति
अपना मुंह फेर लिया
बहुत कहा था मैंने बाबा
मत भेजो मुझे ससुराल
अब मैं नहीं रही जीवित
अब तो आकर मुझे संभाल!!!!!!!!!!!!1

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here जवाब दो बाबुल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें