शनिवार, 31 अक्तूबर 2015

जहर ...... ( मुक्तक )

कैद हुआ तो क्या पिंजरे में बंद परिंदा सब्र रखता हैं !
छोटा हुआ तो क्या वो भी आसमानो की खबर रखता है !!
!
सर्प जाति को जाने क्यों बदनाम करती ये दुनिया !
नेताओ को देख लो हर कोई जुबान से जहर उगलता है !!

डी. के. निवातियाँ _______@@@

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