सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

मेरी प्यरी भौजायी

आपकी अंखियों पर है हर शक्स फिदा,
कौन जाने कब खुदा ने फुरसत में इन्हे दिया बना।

आपकी कहीं इस खूबी को ना मैं भूल जायूं कि,
आपने रोते हुयों को हंसना सिखाया है।

आप सजाती हैं हर महफिल,
जिसमे आपकी हर अदा है कातिल।

इन्तहा है आपके अन्दाज की,
उसपर सोने पर सुहागा अपाकी आवाज की।

दिल जीत लेती हैं आप सबका,
पर किस्मत बुलन्द है उस एक की,
जिसपर हक है सिर्फ आप ही का।

हमारी तो बस इतनी दुआ है खुदा से,
यूंही आप मुस्कुराती रहें हया से।

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