मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

फिर भी, मेरा भारत महान ...!

मेरा भारत महान
लाचार है किसान
बेईमान है धनवान

मेरा भारत महान

अमीर के घर खड़ी दस-दस गाडी
फिर भी महंगी गरीब की बीमारी

मेरा भारत महान

नेताओं को गर है कुछ प्यारा
तो बस कुर्सी और ठाट बाट
वहीँ सैनिकों के घर कोई देखता
उसके ज़िंदा लौटने का बाट

मेरा भारत महान

सोने की गद्दी
में विराजते हैं पुजारी
तो कहीं नन्हे हाँथ
जुटे साफ़कर दूर करते लाचारी

मेरा भारत महान

हिंदी बोलते आता है शर्म
अंग्रेजी बन रहा हमारा धर्म

मेरा भारत महान

ऐसे बहुत सी खूबियों से
भरा है पिटारा
लगे ना इस देश को
नज़र हमारा

मेरा भारत महान

कभी सोने की चिड़िया
कहलाने वाले मेरे देश में
आज हो रहा संस्कारों का अपमान
और पाश्चात्य का गुणगान

फिर भी, मेरा भारत महान …!

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