अति लघु रूप सा क्षण है अपना
  कैसे करेंगे पूरा सपना
  दुर्लभ पल बीतता ही जाता
  युग करवट लेता ही जाता
  समय कभी समान ना होता
  पूरे सब अरमान ना होता
  आज होठों पर हंसी सजी है
  कल नयनों में नीर भरी है
  सुख के दिन होते हैं छोटे
  हमने सुने हैं ये कहावतें
  आलोचना से मानें ना हार
  ना पड़े कमजोर लाचार
  खोने के क्षण पाने के पल
  जीवन में आते हैं हरपल
  खोदते रहते जो पृथ्वी को
  भूमि आश्रय देती उनको
  एक दिन सबको जाना ही है
  ये कटु सत्य जो माना ही है
  अपने आप कोई ना निखरा
  जो  टूटा ना हारा-बिखरा
  अपार कष्ट बाधायें झेले
  विकट कठिन राहों से निकले
  फिर भी सब जीवन जीते हैं
  गम में अपने मुस्काते हैं
  ऐसे लोग हुए हैं अनेक
  जिनके पथ हुए हैं नेक
  क्योंकि जीवन है अनमोल
  इसका नही है कोई मोल .               
गुरुवार, 29 अक्टूबर 2015
जीवन के हर क्षण अनमोल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें