प्यारी मातृभूमि
क्षत-विक्षत वसन धारी
  प्यारी मातृभूमि हमारी ।
  वासव भिगोये वारि से
  अचल हो, मन में हर्ष से
  भाषित मुदित-सी मोदिनी,
  क्षत-विक्षत वसन धारी।
  लगी कूंकने वसन्त दूतें
  पुरवैया लगी मारने फुकें
  अतिवेग मंदाकिनी वारि,
  क्षत-विक्षत वसन धारी।
  आपगा सींचे मातृभूमि
  खिले ताल में सुन्दर नलिनी,
  रश्मि भानु देखें खोल पंखुरी,
  क्षत-विक्षत वसन धारी।
       -ः0ः-

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