बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

ग़ज़ल गीत.हर कोई इंसान था.

।।ग़ज़ल गीत ।।हर कोई इंसान था।।

दोस्तों से क्या कहूँ मैं रंजिसे बढ़ने लगीं है .
अब वफ़ा के नाम पर जब साजिस होने लगी है .
प्यार की महफ़िल सजी थी रास्ता आसान था .
साथ मेरे जो चला था हर कोई इंसान था ..

जब चले थे कारवां था, हमवफा थे लोग अपने .
थे सजाये चल रहे थे आरजू कुछ ख्वाब सपने .
मिल रही थी मंजिले दिल मेरा नादान था ..
साथ मेरे जो चला था हर कोई इंसान था ..

दर्द से वाक़िब नही थे, न ही गम के ज़लज़ले थे .
प्यार की चाहत मिली बस साथ सबके चल पड़े थे .
महफ़िलो से महफ़िलो तक रास्ता आसान था .
साथ मेरे जो चला था हर कोई इंसान था ..

सब बिछड़ते जा रहे थे पा के महफ़िल प्यार की .
फासले बढ़ते रहे पर थी ख़बर न हार की ..
साहिलों पर अकेला था मगर अनजान था ..
साथ मेरे जो चला था हर कोई इंसान था ..

खो गये है दोस्त सब पाके इक शाया किसी का .
न खबर आयीं किसी की न ही खत आया किसी का .
अश्क़ आँखों से बहे थे दर्द का एलान था ..
साथ मेरे जो चला था हर कोई इंसान था ..

R.K.MISHRA

××××

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here ग़ज़ल गीत.हर कोई इंसान था.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें