गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

इम्तिहान

अपने आप
क्या आफत है
व्दिविधा हो तो १

बंद हो रास्ता
होता कर या मर
क्या कहूँ तुझे २

वहीँ का वहीँ
कितना आते जाते
वही है रास्ता ३

कभी न नापे
मंजिल जीवन का
कब पहुंचे ४

चलता रहा
जल्दी तो कोई धीमा
रास्ता तो वही ५

दिल का स्पर्श
बस,झूमता रहा
यूँ ही कब से ६

लो इम्तिहान
नफ़रत की आग
जिना सिखाता ७
१०/२९/२०१५

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here इम्तिहान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें