जुदाई
मेरे जाने के बाद प्रिये
  मेरे पदचिन्हों को मत टोहना,
  मुझे याद कर-कर के प्रिये
  आंचल से मुख ढक मत रोना।
  मेल और जुदाई तो
  सब किस्मत का खेल है
  अपनी किस्मत बुरी समझ के
  विधाता को कभी दोष न देना,
  मुझे याद कर-कर के प्रिये
  आंचल से मुख ढक मत रोना।
  कुछ दिन की ये जुदाई ही
  लायेगी जिन्दगी की बहार
  दरवाजे पर आरती की थाली लिये
  बेशब्री से मेरी राह तकना,
  मुझे याद कर-कर के प्रिये
  आंचल से मुख ढक मत रोना।
           	-ः0ः-

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