फैशन की दौड़
कहां अभी स्वतंत्र हुए हम
  आजादी के इस दौर में,
  पांव हमारे पकड़ लिये हैं
  फैशन की इस दौड़ ने ।
  फैशन की दौड़ भाग में हम
  भुला बैठे हैं संस्कृति को
  जो हमारे अतीत थे
  भुल गये उन गीतों को
  हाथ पर हाथ धरे बैठें हैं
  करना है कुछ ओर हमें
  कहां अभी स्वतंत्र हुए हम
  आजादी के इस दौर में।
  माना भूली संस्कृति को
  वापिस हम नही ला सकते
  मगर जो वो आदर्श हैं
  उनको भुला नही सकते
  उन आदर्शों की नींव पर
  महल बनाना हैं चाहते
  कहां अभी स्वतंत्र हुए हम
  आजादी के इस दौर में।
          -ः0ः-

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें