शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

सीख

सीख

सूखे ठूंठ की भांति
निडर तना तु
मत खड़ा हो
कि………………
हवा आए ना हिलाये
झुकाये ना किसी के आगे
चाहे भले ही टूट जाये
वर्षा बरसे, तु ना तरसे
गीला होकर तुरंत तु सूखे
चाहे कितना झूम के बरसे
आंधी आये, तुफां आयें
तुझे जड़ से उखाड़ फेंके
पर मुंह से आह ना निकले
निडर हो तु प्राण गंवाये
पर ऐसा जीवन भी क्या
कभी ना झुक कर सीना ताने
घमंड में सिर को
ऊंचा रखना,
फिर खुद ठोकर खाकर
औंधें मुंह जमीं पर गिरना
मस्तक ऊंचा, फिर रहा कहां
भरे-पूरे पेड़ की भांति
दो छांव हरदम दिन-राति
फलों से लद कर झुक जाते हैं
समीर के आगे थिरकाते हैं
वर्षा में वो शर्माते हैं
हर दिन नया सवेरा लाकर
फूलों की सुगन्ध बिखेर जाते हैं
जीवन हमारा ऐसा हो,
जीवन हमारा ऐसा हो।
-ः0ः-

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