।गज़ल।न तुझमे कमी है ।।
वहाँ तेरे आँगन में महफ़िल जमी है ।
  यहाँ मेरे दिल पर गमे रौशनी है ।।
भले आज तेरी नजर न उठे ये ।
  जो चेहरे से हटकर जमी पे ज़मी है ।। 
मग़र आज मुझको पता चल गया है ।।
  यक़ीनन छटेगा ये गम मौसमी है ।। 
बहेगी हवा कोई चाहत की गर तो ।
  ढहेगा तेरा गम ये जो रेशमी है ।।
अग़र हौसला हो जरा आज कह दे ।।
  न तुझमे कमी है न मुझमे कमी है ।। 
जरा पास आकरके आँखों में झांको ।।
  पलको पे उभरी नमी ही नमी है ।। 
अग़र पास में हो छिपा लेना वो खत ।। दिखाना न उसका यहा लाज़मी है ।।
असर हो रहा है ये गम के है लम्हे ।
  ग़र तस्वीर तेरी दिल में थमी है ।। 
चलो अब तो लब्जे जुबाँ से तो बोलो ।
  न मैं मोम हूँ न तू कोई ममी है ।। 
                     ……R.K.MISHRA
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