जय जय हिन्द की नारी
  खिले जाये जिंदगी तिरंगे सी तुम्हारी,
  समस्याए मिट जाये सारी तुम्हारी
  देवकी सी महतारी , पन्ना सी ममता की फुलवारी
  झुका दे कायनात सारी , करदे एक करामात न्यारी
  आवाज से अपनी करदे बुलंद सृष्टी सारी
  बिना डर के तोड़ दे सारे बंधन संसारी
  तुझे अबला कहने वालो को दे दे हार करारी
  जय जय हिन्द की नारी
  कुंठित रहकर कब तक बनी रहेगी बेचारी
  अब तक ज़माने से तू बार बार है हारी
  अब बगावत करने की है तेरी बारी
  ज़माने ने तुझे पीङा और कष्ट बहुत दिए
  अस्तित्व को मिटाने के प्रयत्न हजार किये
  कभी बेटी तो कभी बहु के रूप में तेरे पंख काट दिए
  अब बचाने है पंख खुद के,बदलने है दस्तूर ज़माने के
  भरनी है ऊँची एक उड़ान अम्बारी
  जय जय हिन्द की नारी
  बना दिया तेरा जीवन इतना दुखदायी
  अग्नि परीक्षा के लिए हर बार तुझको ही आवाज लगाई
  हर युग में रावण ने की गलती , पर सजा तूने ही पायी
  दम्भ नर का नष्ट कर दे ,नर नारी का भेद ख़त्म कर दे
  आसमान की ऊंचाइयों को खुद का गुलाम कर दे
  मोह लेता है आज भी तेरा रूप श्रृंगारी
  जय जय हिन्द की नारी , जय जय हिन्द की नारी !!!!!!!!!!
शनिवार, 24 अक्टूबर 2015
जय जय हिन्द कि नारी
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