अजीब रंगत है मेरे यार की
  जिसे देखकर सारा जहां रंगीन नजर आता है !
  जब तक न हो दीदार ऐ यार के,
  इस बेताब दिल को भला कहा चैन आता है !
  तुम ही अब दिल की धड़कन,
  अब तो तेरे बिना ये शरीर बे जान नजर आता है  !
  ऐ रब ये बता ऐसी क्या बात है उसमे,
  जिसके बिना अब संसार भी वीरान नजर आता है !!
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——:: डी. के. निवातियाँ ::——
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