“हर पल मुझे जीना सिखाती है माँ
  थक जाता हूँ मैं तो मुझे सुलाती है माँ
  सूरज सी गर्मी चंदा की ठंडक मुझे देती है माँ
  जब जब मैं रोता हूँ मुस्कुराके गले लगाती है माँ
  हर पल मुझे जीना सिखाती है माँ
  माँ के पहलु में मेरा हर गम मेरा छिप जाता है
  मेरे सुने पन की परेशानियों का हर हल निकल जाता है
  अपनी परेशानिया किसी से कहती नहीं है माँ
  बीटा अगर रोये तो खुद भी रोती है माँ
  हर पल मुझे जीना सिखाती है माँ”…. 

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