चूं चूं करती चिड़िया रानी
          नित नया संगीत सुनाती है !
          डाली-डाली, दौड़े वृक्ष-वृक्ष
          प्रातकाल हमको जगाती है !!
        उठो जागो हुआ सवेरा
          अपनी धुन में गाती है !
          आँखे खोलो, नही सोना
          अब रैना बीती जाती है !!
        उदय हुआ नव् दिन का
          मधुर पवन गुनगुनाती है !
          रवि बिखेरे अपनी किरणे
          नभ में लाली बिखराती है !!
        लहलाते वृक्ष हरे भरे,
          पुष्पों से सुगंध आती है !
          करलव करते नभ में पंछी
          मिलकर सरगम गाती है !!
        रोज सवेरे मेरे घर भी
          एक नन्ही चिड़िया आती हैं !
          छेड़कर वो मधुर संगीत
          निश दिन हमे बताती है !!
        उठ जाओ तुम मेरे प्यारो
          तुम्हारी डगर बुलाती है !
          राह देखती मंजिल तुम्हारी
          ये रोज स्मरण कराती है !!
@@@___डी. के. निवातियाँ____@@@
Read Complete Poem/Kavya Here चिड़िया रानी.....(बाल कविता)
निवातियाँ जी आपने चिड़ियों व उनकी चूं-चूं की आवाज की भी आपने बड़ी ही चंचलता से वर्णन किया है..ऐसी मधुरिम रचनाओं का संकलन आप शब्दनगरी
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