गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

ख़्वाब

इक हसीन ख़्वाब को हकीकत बनते देखा मैंने,
तेरी हँसी को अपनी मिल्कियत होते देखा मैंने !
तेरी मोहब्बत से बड़ा ख़्वाब न था दूसरा कोई,
इसे अपनी साँसों में बसते और महकते देखा मैंने !!
कभी-
इक तेरे दीदार की मन्नतें मांगी थी रात-दिन हमने,
अब तो हर पल रूबरू तुझे ही पाया हमने !
कल तो एक गुलाब तक नवाज न पाया जिसको,
सारे गुलशन को उसके कदमों तले बिछाया हमने !!
हर जवां मर मिटा था जिन गेसुओं की खमों पे कभी,
आज जी भर के उन्हें सहलाया और सुलझाया हमने !
कभी जिन आँखों ने सिखलाया फ़लसफ़ा-ए-मोहब्बत ,
अब उन्हें ही जिंदगी की किताब बनाया हमने !!
इक तुझे ही दिल में बसाने की ख्वाहिश थी हमारी,
अब तो साँस दर साँस तुझे साथ पाया हमने !
आज सबको छोड़कर मुझमें सिमटते देखा तुझको ,
हर वक़्त नसीब पर रश्क़ होता मुझको !!
बेमिशाल हुस्न की मिल्कियत पायी हमने –
बेपनाह मोहब्बत तुझपे लुटाई हमने !
इक हसीन ख़्वाब को हकीक़त बनते देखा हमने ,
तेरी हँसी को अपनी मिल्कियत होते देखा हमने !!!

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