रविवार, 16 अगस्त 2015

शायद वो सिर्फ एक सपना ही होगा भाग 3

वो झिलमिल सितारों की रातो के गप्पे
वो टिमटिम जुगनू के पीछे से धप्पे
वो कागज़ के जहाजो को ऊंचाई से उड़ाना
और अब्बल ही रहने का ख्वाब पुराना.

कुछ ऐसा बनने की प्यास थी लेकिन
अपना रुख था और , और ही था ज़माना
वैसा करने की आस थी लेकिन
लक्ष्य साथ , मुश्किल दिल को समझाना

सांत्वना से ही काम चलता है अब तो
वो सखी वो सहेली , रह गयी है पहेली
वो त्याग था उसका , मीरा सी प्रबृति का
झरोखो मे अब बस खेलती है अठखेली

कुछ रहस्यों का पत्र जो उसने थमाया
उसी उधेड़बुन को हर समय ने अपनाया
दिनचर्या थी ऐसी मेरी हमेशा
महसूस तो किया मगर जिसको देख न पाया

कर्म ऐसा करू की कल्याण मेरा भी होगा
जन्म को सफल जो करे वो ध्यान मेरा भी होगा
उसके लिए क्या योगदान कोई मेरा भी होगा
नेत्रों के दरपन मे सम्मान मेरा भी होगा

हर प्रतिबिम्ब , हर छाया मे
पेड़ -पौधों मे , हर काया मे
दर्द का ही अनुभव करता आया हु अब तक
ब्यर्थ न हो जीवन , वो अनकही , वो अनसुनी माया मे

हर रोज उस अवसर को ढूढ़ा है मैंने …
उस अग्नि को हृदय मे फूका है मैंने
साँसों को चलते मुझे रखना ही होगा
शायद वो सिर्फ एक सपना ही होगा

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