मैं दूसरी दुनियाँ में जाना चाहती हूँ!
  पर क्यों?
  क्या यह दुनियाँ इतनी बुरी है?
  नही,
  इसे बुरा हम बनाते ।
  जब खुशियाँ हमें अच्छी लगती है,
  तो गम आने पर कहीं और क्यों जाना?
        दुनियां कोई भी हो,
          उसे बुरा हम बनाते है।
         यही वह दुनियां है
         जहाँ कोई जीना नहीं चाहता,
         तो कोई यहाँ से जाना नहीं चाहता।
ये उतनी भी बुरी नही
  जितना हम इसे बना चुके हैं।
      ये हमारे कर्म का नतीजा है
        हमारे अधर्म का नतीजा है
       संघर्ष यहीं से उत्पन्न हुआ
       जो जीत गया वह जी गया
       जो सह न सका वह हार गया।
ये उनती बुरी नहीं
  जहाँ जिया न जा सके
  यह तो वह अमृत है जिसे
  आसानी से पिया भी न जा सके
  यहाँ जीने का आनंद तब है,
  संघर्ष से कोई जीत गया।
  यही मेरी दुनियां ,
  संघर्ष मेरा संसार।
  रोशनी कुमारी
  8.7.2011

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