बुधवार, 26 अगस्त 2015

मनवा उड़ता जाए........

    1. हसरतो के पंख लगाकर
      मनवा उड़ता जाए !
      किस राह चले वो बेखबर
      निडर उड़ता जाए !!

      अनजानी, अनदेखी सूरत पर
      क्यों मरता जाए !
      मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा घूमे
      रब को ढूंढ़ता जाए !!

      उगते सूरज की किरण लिए
      सपने बुनता जाए !
      गर्दिशों के मंडराते बादलो में,
      बेख़ौफ़ उड़ता जाए !!

      विजय पताका लहराने निकला
      हाथो के पंख फैलाये !
      आसमाँ को कदमो में झुकाने,
      तुफानो से लड़ता जाए !!

      चला लिए नई उम्मीद, नई राह,
      नए पथ पे बढ़ता जाए !
      शर्त लगा कर मदमस्त पवन से
      सपनो में रंग भरता जाए !!

      हौसले हो जिसके बुलंद उसे डर कैसा
      मुसीबतो से लड़ता जाए !
      इरादे अडिग जिसके पर्वत जैसे अटल
      भाग्य भी झुकता जाए !!

      हसरतो के पंख लगाकर
      मनवा उड़ता जाए !
      किस राह चले वो बेखबर
      निडर उड़ता जाए !!
      !
      !
      !
      डी. के. निवातियाँ______@@@

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