रमता जोगी
  यह जीवन है रमता जोगी
  तू धुनी यहीं रमा लेना
  फिर लौट कभी ना आएगा
  जो वक़्त है उसे सँजो लेना
  ये जीवन है रमता जोगी
जहां फूल –फूल ही खिलते हों
  जीवन के सुखद सरोवर में
  हर ओर बहारें छ जातीं
  उपवन-उपवन और तरुवर में
  मन मस्त हुआ हरियाली मे
  शोख़ी से और शरारत से
  यहाँ नदी मचलती रवानी में
  यहाँ काली महकती खुमारी में
  कहीं बीत ना जाये सुहाने पल
  आओ समेट लें अंकों में
  यह जीवन है रमता जोगी
बौराई थी जब मधुर गंध
  खिलखला  उठा तब कमल कुंज
  यह गीत मेरे मन मीत मेरे
  उज्ज्वल कीर्ति के मुकुल पुंज
  किसको अमृत किसको हाला
  किसको मदिरा कोई मधु प्याला
  गाती धरती खुशियों के गीत
  अंबर स्वीकारें मन का मीत
  मन पंख लिए सपनों में उड़े
  कहे राजा से ना रंकों से
  यह जीवन है रमता जोगी

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें