बुधवार, 12 अगस्त 2015

आशियाना

चलो एक छोटा सा आशियाना बनायें
बहुत प्यार से उस घर को सजाऐं

जहाँ आवाज तेरी ही बस गुनगुनाये
हर दीवार पर अपनी फोटो लगायें

भले उतने पैसें ना हो हम पे फिर भी
हर एक शाम को मिल के खुशीयाँ कमायें

ना ख्वाहिश हो उतनी जो पूरी भी ना हो
बस एक-दूसरे को जरूरत बनायें

जो ता-उम्र तुम्हारी हँसी सुन के गुजरे
तो क्यूँ ना चलो एक आशियाना बनायें ।

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