चलो एक छोटा सा आशियाना बनायें
  बहुत प्यार से उस घर को सजाऐं
जहाँ आवाज तेरी ही बस गुनगुनाये
  हर दीवार पर अपनी फोटो लगायें
भले उतने पैसें ना हो हम पे फिर भी
  हर एक शाम को मिल के खुशीयाँ कमायें
ना ख्वाहिश हो उतनी जो पूरी भी ना हो
  बस एक-दूसरे को जरूरत बनायें
जो ता-उम्र तुम्हारी हँसी सुन के गुजरे
  तो क्यूँ ना चलो एक आशियाना बनायें ।

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