।।ग़ज़ल।।तन्हा बिताये तो थे।।
कुछ भी हो, मेरी ख़्वाहिशों के ,लिये मुस्कराये तो थे ।।
  कल मेरी यादो से निकलकर, सामने आये तो थे ।। 
माना कि वो तब्दीली न आ सकी उनकी अदाओ में ।।
  पर मिटाकर फ़ासलों का दर्द, नजरें झुकाये तो थे ।। 
जो चले ही गये थे दूर ,मेरे दिल के दायरों से ।।
  तोड़कर दुनिया की रश्मे ,वादा निभाये तो थे ।। 
अब मुझे यक़ीन है कि मेरी चाहते बेअसर न रही ।।
  वक्त कम था और हम भी दिल को लुटाये तो थे ।। 
ऐ दोस्त ! तमाम लोग थे ,तेरे जाने के बाद भी यहा ।।
  पर तेरी याद में हम ,तन्हा तन्हा बिताये तो थे ।। 
………..R.K.M
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