हे ईश्वर क्या है हमारी जिंदगानी
  जेल में ही खाना, जेल में ही पानी
जैसे है हम कोई गुनाहगार, और मिली सजा ऐ काला पानी
इंसान हमें कैद करके रखते है
  वजह पूछो तो बताते है, हम तुम्हे बहोत चाहते हैं
अगर यही चाहत है तो हे ईश्वर
  किसीको किसी से कोई चाहत न रहे, यही दुवा है
हम इतने भी नहीं है रंक, हमारे भी है पंख
  हम पूरी जिंदगी आसमान में बिता सकते है
  जबकि इंसान जिंदगी खोने क बाद आसमान पा सकते है
इंसान अपनों से ही प्यार जता नहीं पाते,
  फिर हमें क्यों अपनी जान बताते हे,
  वजह पूछो तो बताते है, हम तुम्हे बहोत चाहते है
अगर यही चाहत है तो हे ईश्वर,
  किसीको किसी से कोई चाहत न रहे, यही दुवा है

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