रविवार, 23 अगस्त 2015

रक्शाबन्धन

भैय है मेरा अनमोल,
इसका नही कोई तोल-मोल-बोल।
इत्राता बलखाता चहू ओर.
जीत लेता है सबके मन को भोर-भोर।
बलिहारि जाती मै उसपर बारम्बार,
नज्र्र लगने ना पाये उसे कभी भी करतार
इस पार या उस पार,
खुदा से यही दुआ है मेरी,
साथ रुकसत ना हो हम बह्न- भाई का कभी,
और मनाते रहे रक्शाबन्धन का अनोखा पर्व हर साल साथ-साथ ही।

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