शनिवार, 22 अगस्त 2015

जमाने की सूरत

देख जमाने की सूरत अब चेहरो से डर लगता है,
बात नही है गैरो की अब अपनो से डर लगता है…

विश्वास करु किस पर दुनिया मे,
सभी ह्रिदय मे धोखा है..
धूप च्हाव सा प्रेम-विरह,
जीवन का राग अनोखा है..
हर स्च्ची मन्जिल पर भी अब ज्हूट का पहरा लगता है…
बात नही है गैरो की अब………………..

अब खून के रिश्ते खतम हो रहे,
प्रेम कहा अब आखो मे..
स्वार्थ द्देश का मेला देखो,
लगा दिखे हर राहो मे..
रैन तिमिर की बात नही अब सुवहो से डर लगता है….
बात नही है गैरो की अब………………….
देख जमाने की सूरत अब……………………….

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