सोमवार, 31 अगस्त 2015

क्या खोया क्या पाया........ ( चिंतन )

    1. आजादी से अब तक हमने
      खुद को कहाँ पहुंचाया
      करो विचार तनिक इतना
      क्या खोया क्या पाया !!

      विकास की होड़ में बढ़ते गए
      खुद की पहचान बढ़ाया !
      या खो गए पाश्चात्य के धुन में
      अपने ही मूल्यों को गंवाया !!

      बहुत पायी उच्च शिक्षा हमने
      अंग्रेजी को अपनाया !
      पर भूल गए शायद अपनी भाषा
      हिंदी का अस्तित्व घटाया !!

      खूब सीखा हमने रहना सूट बूट में
      विदेशी पोशाकों को अपनाया !
      भूल गए क्यों अपनी माटी की खुसबू
      परदेश में रहना सबको भाया !!

      घने हुए आविष्कार दुनिया में यंहा
      हमने भी जलवा दिखलाया !
      पर सोचो कितने दूर हुए अपनों से हम
      छोड़ परिवार एकल अपनाया !!

      आपा धापी की इस दुनिया में
      संस्कारो को भुलाया !
      नव पीढ़ी को हम के देकर चले
      कभी इसका ख्याल आया !!

      आजादी से अब तक हमने
      खुद को कहाँ पहुंचाया !
      करो विचार तनिक इतना
      क्या खोया क्या पाया !!
      !
      !
      !
      मूल रचना ……( डी. के. निवातियाँ )

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