पंछियो ने भी लगाया बसेरा
  सुगन्धित पवन मंद मंद बहे
  मौसम ने ख़ुशी का रंग बिखेरा !!
सिमट गया अब रात का पहरा
  छुप गया अब चाँद का चेहरा
  फिर नीद का अभी क्यों पहरा
  सपनो ने अभी क्यों तुमको घेरा !!
सितारे छुप गए,अब फूल खिल गए
  मोती शबनम के धूल में मिल गए
  रवि निकला बांध उजाले का सेहरा
  सोने जैसा चमका प्रभात का चहेरा !!
समय यही पहचान बनाने का
  जीवन को आनंदित करने का
  समझ गया जो जीवन चक का घेरा
  हर पल सुन्दर होगा जीवन में तेरा !!  
जागो प्यारे अब तुम भी जागो
  जीवन पथ पर सरपट भागो
  जो चल जाए वक़्त से कदम मिलाकर
  मिट जाएगा उसके जीवन का अँधेरा !!
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  डी. के. निवातियाँ ……. !!

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