शनिवार, 29 अगस्त 2015

।।कविता।।क्योंकि आज है रक्षाबन्धन।।

।।कविता।।क्योकि आज है रक्षाबन्धन।।

भैया यह रेशम का धागा एक मात्र है साधन ।।
जबकि सही रूप में है यह ,स्नेहो का बन्धन ।।
रुको मैं आती
थाल सजाती
करना है अभिनन्दन ।।
क्योकि आज है रक्षाबन्धन ।।

आज कलाई पर जो तेरे, बाँध रही मैं धाँगा ।।
सिर्फ तुम्हारे लिये दुआ की ,और नही कुछ माँगा ।।
खुश तुम रहना
कहती बहना
लगा के कुंकुम चन्दन ।।
क्योकि आज है रक्षाबन्धन ।।

वो बचपन का झूठ बोलना माँ से वो डटवाना ।।
चल भैया तू आज छोड़ दे करना ,कोई बहाना ।।
मैं तेरे घर
एक धरोहर
अब कभी न करना अनबन ।।
क्योकि आज है रक्षाबन्धन ।।

कर्तब्यो से विमुख न होना वादा कर मुझसे तू आज ।।
आश्वासन मुझको तू दे दे रखेगा राखी की लाज़ ।।
अपना यह कर
सिर पर रखकर
पर तनिक न हो स्पंदन ।।
क्योकि आज है रक्षाबन्धन ।।

भैया यह पावन रिश्ता है बिल्कुल ही अनमोल ।।
तू भाई उन हिंदुस्तानी बहनो का कुछ बोल ।।
जिसने बाँधा
तुमको धाँगा
करना ही होगा अभिनन्दन ।।
क्योकि आज है रक्षाबन्धन ।।

न कोई बहना रहे अकेली न रहे कलाई सूनी ।।
हे ईश्वर ! इस रक्षासूत्र से टल जाये अनहोनी ।।
पूरे विश्व में
गूँजेगा अब
भातृ-प्रेम का गुंजन ।।
क्योकि आज है रक्षाबन्धन ।।

………R.K.M

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