शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

गजल

दिल ने सोचा है कि इक बार मुलाकत होगी
आपको फिर से नहीं कोई आघात होगी
याद है मुझको हर वो पल,हुए थे दूर जब से हम
आपकी याद में ये रातें बर्बाद होगी.
आपका रूठ के रहना,नजर को यूँ चुरा लेना
आपको देखने की चाहत में कुछ बात होगी.
घिरा है याद का मंजर,सजा है रंक का बंकर
वतन की आन पर मिटना मेरी सौगात होगी.
हमारा कर्म है लड़ना.हमारा धर्म है मरना
विजय की चाह में जीना मेरी जज्वात होगी.
मिलन की है बड़ी ख्वाहिश,दुश्मनों ने रची साजिश
मगर मैं आऊंगा मिलने दुआएं साथ होगी.

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