स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
मंजिल की तलाश (कविता)
                                              मंजिल की  गर  तलाश   है  साथियों ,
                                               रुको मत ! बस  कदम  बढाते  चलो .
                                               मगर  पथ  पर  गिरे  असहायों को भी ,
                                              उठाकर  अपने साथ  ले कर चलो .  
                                            माना  की  राहें  हैं  तुम्हारी   कांटो से भरी ,
                                              पगडण्डीयां  है  घने  तिमिर  से  भरी ,
                                              होंसले  कर  बुलंद   निराशाओं  में भी ,
                                              आशाओं  का  दीप  जलाते  चलो .
                                             दिल में हो लगन  यदि  सच्ची ,
                                              तो पत्थर भी पिघल जाते हैं.
                                              हो  बुलंद  हिम्मत  इंसान की ,
                                              तो तारे ज़मीं पर उतर आते हैं.
                                             आत्म-विश्वास की धार को तेज कर के चलो .
                                            कौन  सी  ऐसी  चीज़ है दुनिया में  दुर्लभ ,
                                              इंसा  कर ठान  ले  तो सब-कुछ है सुलभ .
                                             सिकंदर ने तो जीता था  हिंसा  से जहां को .
                                            तुम भी  प्रेम से  जीत  सकते हो  जहां को .
                                             जोत से जोत नेह  की  दिलों में जलाते  चलो. 
                                          वो  जवानी  जवानी नहीं  जो देश पर ना मिटे,
                                            इसकी  आन की  खातिर  कोई  सर ना कटे .
                                            जवानी तो वोह है जो जान कुर्बान  करे,
                                            इसके  सदके हर हसरत औ अरमान   करे.
                                            मिटाकर खुदी को  देश की  शान बढाते चलो .
                                        देश  की  खुशिया  व्  समृद्धि  है दौलत हमारी ,
                                          इसकी  तरक्की  में ही तरक्की  है हमारी  ,
                                          इसके नाम  को ,आन  को  शिखर पर पहुंचाना  ,
                                          सही  मायेने  में  मंजिल  यही है  हमारी .
                                         अपने वतन को  ही अपनी  जिंदगी मानते  चलो. 

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें