सोमवार, 24 अगस्त 2015

।।ग़ज़ल।।मुस्कुराया न कर।।

।।गजल।।मुस्कराया न कर।।

अब रहने भी दे तू मुझे तड़पाया न कर ।
अपनी यादो के तूँफा से रुलाया न कर ।।

फ़िक्र तो कर मेरे दिल के हालात की अब
उन झूठी अदायें को अब दिखाया न कर।

मेरी दिल की चाहत का तुझे एहसास नही
तो मेरे स्वप्नों में आकर मुस्कुराया न कर ।

ख़त्म हो ही जायेगा तख़लीफो का दौर ।
अब मेरी मुहब्बत को तू आजमाया न कर

ऐ दोस्त तुम्हे हक है तेरी जिंदगी जीने का।
मज़ाक मेरी जिंदगी का भी उड़ाया न कर।

……R.K.M

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