रोता तुम हर इंसान देखो !
  बेईमानो की लूट में लुटता
  आज मेरे देश का हाल देखो !!
दाल, सब्जी अब इतने महंगे
  दाम सुनते भूख मिटती देखो !
  हवा पानी की तो बात न पूछो
  उससे सस्ती हुई शराब देखो !!
प्यार मोहब्बत जज्बात खो गए
  टूटते परिवारो का जो हाल देखो !
  रिश्तो की कदर कितनी किसको
  वृद्धा आश्रमों जाकर में हाल देखो !!
इंसानो से कीमती कुत्ते हो गए
  शान -औ-शौकत कमाल देखो !
  यंहा फुटपाथों पर सोते है बच्चे
  वातानुकूलित में रहते कुत्ते देखो !!
“गौ माता” में अब सिर्फ गाय बची है
  सड़को पर घूमती उनका हाल देखो !
  जो बची गौशालो में, वो भूखी मरती
  मंदिरो में पत्थर के नंदी पूजते देखो !!
दुश्मन हुआ आज भाई का भाई
  नफरत की फैलती ये आग देखो !!
  बात बात में यहां होते है रोज मर्डर
  सस्ती होती इंसानो की जान देखो !!
अपने ही लुटे अस्मित अपनों की
  इंसानो का गिरता जमीर देखो !
  धन के लालच में जिस्म बिकते
  किस हद तक गिरा ईमान देखो !!
प्रशासन आज किस हाल बेबस है
  नेता के आगे उसको झुकता देखो !
  सच्चाई से उठता नही झूठ का पर्दा
  व्यवस्था हुई कितनी लाचार  देखो !!
हाथ बांधकर आज जनता खड़ी है
  अपराधियो का बढ़ता खौफ देखो !
  देश के रक्षक बन गए अब भक्षक
  कैसा लोकतंत्र ये हुआ बीमार देखो !!
धरती रोती, अम्बर रोता,
  रोता तुम हर इंसान देखो !
  बेईमानो की लूट में लुटता
  आज मेरे देश का हाल देखो !!
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  रचनकार ::—
  (डी. के. निवातियाँ _________$$$ )

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