शकुंतला तरार
गीत-1
  ”श्वेत धवल बादल”
  श्वेत  धवल बादल लगते हैं
  ज्यों रुई के फाहे हों ।
  बैरन संझा आने को आतुर
  क्यों सूरज के ताने लो । । 
स्वप्न पांखुरी लेकर निंदिया
  देखो सारी रात जगी
  प्रेम हिंडोले दे गया साजन
  ज्यों शहदीली बात पगी
  तो, कुनमुन कुनमुन बावरा मन
  पंडकी पाखी बन गाने दो
  बैरन संझा आने को आतुर
  क्यों सूरज के ताने लो । । 
जीवन के झंझावातों से
  पल भर को जब चैन मिले
  कैसे कह दूँ हमतुम-हमतुम
  उड़न खटोले रैन जगे
  ताता थईय्या, तकतक थाईय्या
  राधा रानी बन जाने दो
  बैरन संझा आने को आतुर
  क्यों सूरज के ताने लो । । 

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