माँ शारदे की वंदना
वंदना करती हूँ मैं ओ शारदे माँ शारदे,
  अर्चना करती हूँ मैं ओ शारदे माँ शारदे।। 
सृजन की घड़ियाँ सुखद कर, ज्ञान अमृत धार बहादे,
  वेद की ऋचाओं से माँ,  श्रद्धा का चन्दन लगादे,
  अक्षर मंत्र से अभिमंत्रित कर, प्यार दे माँ शारदे।। 
उद्यम को दे हाथ माँ और श्रम को सतत साधना,
  अनुभव को दे काम माँ और मस्तिष्क को नव प्रार्थना,
  वाणी में शुभ स्वर सजा, उपकार दे माँ शारदे।। 
वीणा पाणिनी, धवल धारिणी, कमल सिंघसिनी शारदे,
  कर पुस्तक, गलमाल सुशोभित,  हंस वाहिनी शारदे,
  मस्तक तिलक, कान में कुंडल, मुकुट धारिणी शारदे,
  विद्यादायिनी, बुद्धि दायिनी , ज्ञान दायिनी शारदे।। 

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें