बुधवार, 12 अगस्त 2015

चिड़िया रानी ...... (बाल कविता )

    1. चूं चूं करती चिड़िया रानी
      नित नया संगीत सुनाती है !
      डाली-डाली, दौड़े वृक्ष-वृक्ष
      प्रातकाल हमको जगाती है !!

      उठो जागो हुआ सवेरा
      अपनी धुन में गाती है !
      आँखे खोलो, नही सोना
      अब रैना बीती जाती है !!

      उदय हुआ नव् दिन का
      मधुर पवन गुनगुनाती है !
      रवि बिखेरे अपनी किरणे
      नभ में लाली बिखराती है !!

      लहलाते वृक्ष हरे भरे,
      पुष्पों से सुगंध आती है !
      करलव करते नभ में पंछी
      मिलकर सरगम गाती है !!

      रोज सवेरे मेरे घर भी
      एक नन्ही चिड़िया आती हैं !
      छेड़कर वो मधुर संगीत
      निश दिन हमे बताती है !!

      उठ जाओ तुम मेरे प्यारो
      तुम्हारी डगर बुलाती है !
      राह देखती मंजिल तुम्हारी
      ये रोज स्मरण कराती है !!

      डी. के. निवातियाँ !!

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