रविवार, 23 अगस्त 2015

।।गजल।।हालात के चलते मैं।।

।।ग़ज़ल।।हालात के चलते मैं।।

तुमसे दूर हूँ तेरे जज़्बात के चलते मैं ।।
खुद से मजबूर हूँ हालात के चलते मैं।।

कोई गम नही तू मुझे याद कर न कर ।।
भीगता हर ऱोज हूँ बरसात के चलते मैं ।

ठहर क्यों जाती हो मेरे दायरे के बाहर ।।
वादा तोड़ न पाया तेरी बात के चलते मैं।

मुफ़्त में उम्र गुजार देना भी गुनाह है ।।
पर रोक न पाया औकात के चलते मैं ।।

ऐ दोस्त रब मिले न मिले तू चली आना ।
तन्हा ही रह जाउगा सौगात के चलते मैं।

…….R.K.M

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here ।।गजल।।हालात के चलते मैं।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें