।।ग़ज़ल।।हालात के चलते मैं।।
तुमसे दूर हूँ तेरे जज़्बात के चलते मैं ।।
  खुद से मजबूर हूँ हालात के चलते मैं।। 
कोई गम नही तू मुझे याद कर न कर ।।
  भीगता हर ऱोज हूँ बरसात के चलते मैं । 
ठहर क्यों जाती हो मेरे दायरे के बाहर ।।
  वादा तोड़ न पाया तेरी बात के चलते मैं। 
मुफ़्त में उम्र गुजार देना भी गुनाह है ।।
  पर रोक न पाया औकात के चलते मैं ।। 
ऐ दोस्त रब मिले न मिले तू चली आना ।
  तन्हा ही रह जाउगा सौगात के चलते मैं। 
…….R.K.M
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