ए कैसे लोग
  कैसी इनकी भावना
  इनके लिए नरेन्द्र
  पड़ेगा कुछ कहना,
बच्चों का चित्तकार
  इन्हें सुनाई नहीं देता
  स्त्री संग व्यभिचार
  इन्हे दिखाई नहीं देता,
मानवता के प्रति
  इनका कोई फर्ज नहीं
  कितनी भी लहू बहे
  इसमें इनका कोई हर्ज नहीं,
राष्टगीत से इनका
  भावना आहत होती
  बच्चों के हंसी एवं नृत से
  इन्हें हृदयाघात होती,
पोस्टर देख इनकी
  भावना है भड़कती
  असहाय को देख
  इनका, दिल नहीं तरसती,
बेमेल ए शादी रचाते
  सारे गैर कानूनी कार्यो में
  हाथ ए बटाते, अन्यास ही
  ए धर्म की दुहाई लगाते ,
लोगों को न जाने ए क्या हो गया
  ए कैसी लत या नाशा हो गया
  आँखों पर पड़ी है पर्दा या
  सत्य से बेवफा हो गया 
ए कैसे लोग
  कैसी इनकी भावना
  जँहा भाव ही
  भाईचारा से जुदा हो गया,
ए कैसे लोग
  कैसी इनकी भावना
  इनके लिए नरेन्द्र
  पड़ेगा कुछ कहना। 

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