जिन्दगी मे,
दो तरह के लोग होते है,
एक है खुशनसीब,
और दूसरे बद्नसीब।
नसीब-नसीब का खेल है मेरे भाई,
हर कोई भाग्यवान नही होता,
एक ही पल मे सब कुछ बदल जाता है,
हर एक काम का वक्त होता है।
हर कोई खूब्सूरत नही,
हर कोई अमीर नही।
ख्वाब एक समान हो सकते है,
मगर किस्मत भिन्न है।
आज के तारीख मे,
कौन मानता है इस।
हर समय बस एक दूसरे को दोषी ठेहराते है,
अपनी नाकामयाबी के लिए।
हर आदमी इस दौड मे शामिल है,
वह अपने आप को दूसरो से तुलना करते रेहता है।
अगर सभी का नसीब एक जैसा होता,
तो हर कोई एक बन्गले मे चैन से सोता।
हर कोई औडी या मर्सेडीस चलाता,
हर बार परिक्षा मे अव्वल आता,
मगर भगवान ने सभी को अलग-अलग मन्जिल दी है,
कठिनाईया भी विचित्र है।
जो लिखा है, सो होकर रहेगा,
इस घटना को घटने से कोई नही रोक पायेगा।
अगर सभी लोगो की किसमत एक जैसी होती,
तो शायद यह दुनिया रन्गीन कभी नही हो पाती।
मेहनत करो, महान बनने के लिए,
दुआए करो, सफल होने के लिए,
ईर्षा तो न करना तुम कभी,
क्योकि, अन्त मे कहलाओगे मतलबी।
उच्च विचार लाते है मान-सम्मान,
ऐसा ही होना चाहिए हर इन्सान,
निडर होकर अच्छे काम करो,
और नसीब के मोहताज न बनो।
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