शब्दों  का  खेल  हैं  सब
  भावों  का  मेल  हैं  सब 
शब्दों  की  महिमा  हैं  अपार
  शब्दों  से  जुड़ा  हैं  सारा  संसार 
शब्दों  ने  ही  तो  सांधे हैं  रिश्तें
  शब्दों  ने  ही  ढूंढे  हैं  फ़रिश्तें 
सुन्दर शब्दों से बना आशियाँ हैं
  अधर शब्दों ने तोड़ा जहाँ हैं 
शब्दों  से  ही  लोग  याद  आते  हैं
  शब्दों  से  ही  लोग  मात  कहतें  हैं 
पिरों  शब्दों  को  इस  कदर
  की  उठे  मनमोहक  एक  लहर 
दगा  न   देना  इन  शब्दों  से  किसी  को
  ख़त्म  न  हो  कभी  शब्दों  का  सफ़र 
यहीं  तो  खेल  हैं  शब्दों  का
  जिसने  खेल  वो  ज़ी  गया
  जिसने  न  खेल  वो  जिंदगी  के
  सरे  गम  पी गया 

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