मंगलवार, 14 जुलाई 2015

।।ग़ज़ल।।वादा निभाता तो हूँ आता तो हूँ।।

।।गज़ल।।वादा निभाता तो हूँ आता तो हूँ ।।

तेरी याद की महफ़िल सजाता तो हूँ आता तो हूँ ।।
तेरे जाने के बाद भी बुलाता तो हू आता तो हूँ ।।

तू चली गयी अपनी बदनामिओ के डर से खुद ।।
अब अकेले ही वो गम उठाता तो हूँ आता तो हू ।।

तू बेवफा नही है बस मेरी किस्मत का फैसला है ।।
खुद की तन्हाई छिपाता तो हूं आता तो हूँ ।।

बहाना तक न बचा अब उन गलियो में टहलने के लिये ।।
पर तेरे ही गीत गुनगुनाता तो हूँ आता तो हू ।।

आउगा ताउम्र तेरा इन्तजार करने तेरे घर के करीब ।।
आज भी तेरा वादा निभाता तो हू आता तो हूँ ।।

…………… R.K.M

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