शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

ख्याल-ऐ-दिल चाहता है

तुमसे मिलने को जी चाहता है
हाले दिल बयां करने को जी चाहता है
बस!
इस झूठे ज़माने के कसमकस में हूँ
तुम्हारे साथ मरने और जीने को जी चाहता है

तुम्हारी रज़ा क्या है ये सुनने को दिल चाहता है
तुम्हारे यादों में खोया रहूँ अर्जु-ऐ-दिल चाहता है
तुम्हारी बातें सुनूं, तेरा चेहरा देखूं आँखें भी यही चाहता है
हम दोनों साथ हो जाएं ये बदन चाहता है
क़यामत तक साथ रहें ये गगन चाहता है
आत्मा की तुम परमात्मा हो
आत्मा परमारमा एक हो जाए ये चमन चाहता है
तुम्हें देखूं और स्पर्श करूँ ये मन चाहता है
तुम सुमन में सुगंध की तरह मिल जाओ
ये चमन चाहता है
तुम्हारा सुःख-दुःख मेरा हो जाए ये तेरा सनम चाहता है
हम दोनों मिल कर एक हो जाए तेरा मन चाहता है

तुमसे मिलने को जी चाहता है
हाले दिल बयां करने को जी चाहता है
बस!
इस झूठे ज़माने के कसमकस में हूँ
तुम्हारे साथ मरने और जीने को जी चाहता है!!

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