शुक्रवार, 17 जुलाई 2015

सतर्कता

सतर्कता

सावधान इक प्रहरी बनकर, सजग समाज बनाने से
प्रगति देश की हो सकती है, जन सतर्क हो जाने से
दादा जी पोते को लेकर यह समझाते निकल पडे
जरा सम्भल कर चलना छोटे, पर खुद ही वे फिसल पडे
सजग, सतर्क नहीं होंगे तो हरदम ऐसे फिसलेंगे
जीवन की बाजी में ऐसे घिसलेंगे व पिछलेंगे
अभियंता और चिकित्सक की थोडी भी चूक बडी होगी
सजग-सतर्क न रहने पर जनता की खाट खडी होगी
वैज्ञानिक अनुसंधानो में या हो यानो का प्रक्षेपण
रासायनिक विश्लेषण हो या भूगर्भ क्षेत्र का सर्वेक्षण
कार्यालय का हो काम-काज या फिर परिवार चलाना हो
जीवन की नैया को खोकर भवसागर पार लगाना हो
सीना ताने सीमा पर यदि प्रहरी खडे सतर्क न हो
जीवन रक्षा , देश सुरक्षा ,अमन शांति के अर्थ न हो
सजग, सतर्क, सावधानी की जीवन सैली अपनाये हम
कर्मठता का परिचय देकर लोलुपता दूर भगाये हम
काले काले कारतूतों का बेड़ा गर्क लगाने से
प्रगति देश की हो सकती है जन सतर्क हो जाने से

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