उसूल बने है,
  तोड्ने के लिए।
  परिवार बना है,
  जोड्ने के लिए।
एक महिला अपना सब कुछ त्याग कर,
  आती है घर बसाने के लिए।
  एक मकान को,
  स्वर्ग बनाने के लिए।
आए तूफान या आन्धि,
  वह अपने सन्स्कारो को नही भूलेगी।
  हर कदम पर सभी की सोचे,
  अपनी खुशियो को कर के पीछे।
वह अपनी पूरी जिन्दगी,
  ख्वाब देख्ती है।
  कि एक दिन उसका भी,
  घर बस जाए और यही वह उम्मीद करती है।
जब वह छोटी होती है,
  उसे सिखाए जाते है सन्स्कार।
  ताकि वह जहा भी जाए,
  फैलाए बस खुशी और प्यार।
वह सब सहती है,
  मगर नही कुछ कहती है।
  हर दम रहे तैयार,
  चुनौतियो को करे स्वीकार।
सपनो को पूरा करना,
  है उसकी इच्छा।
  महिला बनके जिम्मेदारी उठाना,
  है उसकी कला।
बच्चो से लेकर बडो तक,
  मिलता है उसे आशिर्वाद।
  दुआए मान्गे सभी के हित के लिए,
  इससे बनाए परिवार की मज्बूत बुनियाद।
न करना इस ताकत को नजरअन्दाज,
  लेती है वह देवी का रूप कभी-कबार।
  फिर नारी शक्ति को दिखाते हुए,
  छीन लेती है चैन और करार।
चाहे बेटी हो या मा,
  हर काम मे अव्वल आती है।
  कोई भी काम अधूरा नही छोड्ती,
  आज उसी ताकत का लोग जयजयकार और सम्मान करते हुए उसे सलाम करती है।

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