बुधवार, 22 जुलाई 2015

ज़िन्दगी से आज तक तूने लिया ही क्या है, ज़िन्दगी को आज तक तूने दिया ही क्या है

ज़िन्दगी से आज तक तूने लिया ही क्या है
कुछ लेने के लिए ज़िन्दगी को तूने दिया ही क्या है

ज़िन्दगी से आज तक तुन लिया ही क्या है,
कुछ लेने के लिए ज़िन्दगी को तूने दिया ही क्या है ..

जो पल है वो आज है ..
तू कल की फिक्र क्यों करता है .
उस अनजान कल के खौफ में ..
हर रोज़्ज़ मर मर के पलता है ..

सच तो ये है की गम के आंसू ..
हर किसी की आँख में आते है ..
कुछ चुप चाप पीते जाते है ..
कुछ पौंछ कर मुस्कुराते है ,.

अपनी हथेली की कारीगरी .
तुझे खुद को ही करनी है ..
झूठे है वे जो कहते है ..
लकीरें खुदबखुद बनती है ..

देख गौर से की जीत के लिए अपनी तूने किया ही क्या है .
और रखता है शिकायत खुद से , के उसने दिया ही क्या है ..

ज़िन्दगी से आज तक तुन लिया ही क्या है,
कुछ लेने के लिए ज़िन्दगी को तूने दिया ही क्या है ..

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