रविवार, 19 जुलाई 2015

परिस्थिति

परिस्थिति बतला दूं तुझको,
हरा नही सकती तू मुझको,
तेरी एक मुस्कान पे मैं बस,
थोड़ा सा घबराया था….

पहनाई संकट की माला,
स्थिर जीवन तूने मथ डाला
तेरी उथल पुथल से मैं बस
थोड़ा सा घबराया था….

पंकज….

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