मेरी गुड़िया छैल-छबीली
  आनन्द विश्वास
मेरी    गुड़िया   छैल-छबीली,
  जींस  पहनती   गहरी  नीली।
इलू-इलू   बोले  वह   सबको,
  प्यार  बाँटती  सारे  जग को।
काला  चश्मा   लाल  रुमाल,
  और   सुनहरे   सुन्दर   बाल। 
जैकिट  है  फर  वाला  लाल,
  शूज़  पहन  कर  करे  कमाल।
आँखें   उसकी    नीली-नीली,
  और   टॉप  है   हल्की  पीली।
कभी  खोलती   आँखें  अपनी,
  और  कभी  ढक  लेती  ढपनी।
मटक-मटक कर आँख दिखाती,
  और   कभी   आँखें   मटकाती।
ठुमक-ठुमक कर नाँच दिखाती,
  सबके  मन को  बड़ा  लुभाती।
जब-जब उसका  पेट  दबाती,
  सुन्दर-सुन्दर    गाने    गाती।
मुझको  प्यारी  मेरी  गुड़िया,
  मैं  पापा  की  प्यारी गुड़िया।
गुड़िया मुझको प्यारी लगती,
  मै  पापा  को  प्यारी लगती।
प्यारा-प्यारा  जग  से न्यारा,
  सुखमय  है   संसार  हमारा।
…आनन्द विश्वास
Read Complete Poem/Kavya Here मेरी गुड़िया छैल-छबीली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें