मुस्कानों के प्रिय चुम्बन से
मुस्कानों के  प्रिय  चुम्बन  से
  रोम रोम को पुलकित कर दो।
  आ जावो,  बाँहों में  भर लो
  पोर पोर  की  पीड़ा  हर लो।
महा मिलन हो  जिससे अपना
  हर पल  कुछ  ऐसा  कर दो।
  कल तक जो हम कह ना पाये
  उन बातों को  रोशन कर दो।
सुकून  भरे  लम्हे  भी  सारे
  जीवन की रग रग में भर दो।
  गीत गजल में  सजल सलौना
  अपने अंतः का रस भर दो
प्रीत पथिक बन, मीत सजग बन
  ये जीवन सफर सरल कर दो।
  दीप प्यार के  जगमग  करके
  घर  आँगन  रोशन कर दो।
अपनी सांसों के सौरभ से
  मन की बगिया सुन्दर कर दो।
  मुस्कानों के  प्रिय  चुम्बन  से
  रोम रोम को पुलकित कर दो।
              ———-   भूपेन्द्र कुमार दवे
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