हम चाहे जितना
  पढ़ लिख लें
  दुनिया घूम लें
  दोस्तों-परचितों की टीम कड़ी कर लें
  हर जगह उम्र की बुजुर्गायित
  बहुत मायने रखती है
मानता हूँ
  भवन की चमक
  ईट की बानी दीवारों से होती है
  मगर वे दीवारे भी
  पत्थरों की नीव पर ही खड़ी होती है
  और पत्थर
  एक दिन में नहीं तैयार होते
तमाम सर्दी गर्मी बरसात
  झेल चुके दरख़्त
  आंधियों में भी
  जल्दी नहीं गिरते…….
भविष्य का भविष्य
  जहाँ टिका रहता है बीते वर्त्तमान पर
  वहीँ वर्त्तमान के लिए भी
  बीते कल का साथ जरूरी होता है……
जो कल के लिए
  कल को साथ लेकर नहीं चलते
  उनका आज भी सदैव
  ससंकित बना रहता है……

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