गुरुवार, 30 जुलाई 2015

जलन

यह जलन.. है सौगात, पूनम की हो जैसे रात,
तू है अँधेरे में दिये की तरह, क्या हुआ अगर अभी है रात?

जनक म देसाई

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here जलन

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें